तेरे गालों पे जब गुलाल गुलाल लगाये जहां मुझ को लाल लाल लगा– नासिर अमरोहवी बादल आए हैं घिर गुलाल के लालकुछ किसी का नहीं किसी को ख़याल– रंगीन सआदत यार ख़ां पूरा करेंगे होली में क्या वादा-ए-विसालजिन को अभी बसंत की ऐ…
Category: two lines poetry
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तुम हमारे किसी तरह न हुएवर्ना दुनिया में क्या नहीं होता थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शबवो आए तो भी नींद न आई तमाम शब Please follow and like us:
अहबाब को दे रहा हूँ धोका चेहरे पे ख़ुशी सजा रहा हूँ क़तील शिफ़ाई मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा अब्दुल हमीद अदम Please follow and like…