आएगा कोई चल के ख़िज़ाँ से बहार मेंसदियाँ गुज़र गई हैं इसी इंतिज़ार में (ख़िज़ाँ = पतझड़) छिड़ते ही साज़-ए-बज़्म में कोई न था कहींवो कौन था जो बोल रहा था सितार में ये और बात है कोई महके कोई…
Category: Nida Fazli
हर एक फूल किसी याद सा महकता हैतेरे खयाल से जागी हुई फ़िज़ाएं हैंये सब्ज़ पेड़ हैं या प्यार की दुआएं हैंतू पास हो कि नहीं फिर भी तू मुकाबिल है, जहाँ भी …हर एक शय है मुहब्बत के नूर…
निदा फाजली उर्दू और हिंदी दुनिया के अजीम शायरों और गीतकारों में आज भी शुमार हैं. उनके गीत काफी सरल माने जाते हैं, जो हर एक की जुबान पर चढ़े रहते थे. ऐसी ही खासियत थी गज़ल गायक जगजीत साहब…
न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है तमाम उम्र मुसाफ़िर सफ़र में रहता है लड़ाई देखे हुए दुश्मनों से मुमकिन है मगर वो ख़ौफ़ जो दीवार-ओ-दर में रहता है ख़ुदा तो मालिक-ओ-मुख़्तार है कहीं भी रहे कभी बशर…
नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन अब घर अच्छा लगता है मिलने-जुलने वालों में तो सब ही अपने जैसे हैं जिस से अब तक मिले नहीं वो अक्सर अच्छा लगता…
Miss Tondon met with an accident and has expired” (कुमारी टंडन का एक्सीडेण्ट हुआ और उनका देहान्त हो गया है)। निदा बहुत दु:खी हुए और उन्होंने पाया कि उनका अभी तक का लिखा कुछ भी उनके इस दुख को व्यक्त…
कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया हर काम में हमेशा कोई काम रह गया छोटी थी उम्र और फ़साना तवील था आग़ाज़ ही लिखा गया अंजाम रह गया उठ उठ के मस्जिदों से नमाज़ी चले गए दहशत-गरों के हाथ…
कठ-पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत सोच से ही सारी उलझन है जीते जाओ सोचो मत लिखा हुआ किरदार कहानी में ही चलता फिरता है कभी है दूरी कभी मिलन है जीते जाओ सोचो मत नाच सको…
अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाए घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए जिन चराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं उन चराग़ों को हवाओं से बचाया जाए ख़ुद-कुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में…
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैंतुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देतामुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदेंइन्हीं खिलौनों से तुम…